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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
भगवान शिव जी की चालीसा के बोल निचे दिए गए हैं। श्री शिव चालीसा प्रारम्भ।
It consists of forty verses (chalisa), created within the Hindi language. The chalisa is structured inside of a poetic structure and is extensively recited by devotees as a method to praise and request blessings from Shiv chaisa Lord Shiva.
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
कठिन more info भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
अंग Shiv chaisa गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
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